इससे पहले 22 सितंबर को भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने कहा था कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर फिर से सूर्योदय होने के बाद सौर ऊर्जा से चलने वाले ‘विक्रम’ लैंडर और ‘प्रज्ञान’ रोवर के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश की गई है।
इसने कहा था कि फिलहाल उनकी (लैंडर और रोवर) ओर से कोई संकेत नहीं मिले हैं और संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी रहेंगे। चंद्रयान-3 मिशन ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया था। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया था। चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाले हम दुनिया के चौथे देश बन गए थे। यह उपलब्धि अमेरिका, पूर्व में सोवियत संघ और चीन को हासिल है।
चंद्रमा पर रात होने से पहले इसरो ने 4 और 2 सितंबर को लैंडर व रोवर को स्लीप मोड में डाल दिया था। उम्मीद थी कि 22 सितंबर के आसपास अगले सूर्योदय पर वो फिर से एक्टिव हो जाएंगे। हालांकि ऐसा नहीं हो पाया।
याद रहे कि लैंडर और रोवर को एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन) तक काम करने के लिए ही डिजाइन किया गया था। उस हिसाब से लैंडर और रोवर ने चांद पर अपना लक्ष्य पूरा कर लिया था। इसरो ने जिन मकसदों के साथ इस मिशन को लॉन्च किया था, वो सभी हासिल कर लिए गए थे। इनमें चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’, चंद्रमा रोवर की चहलकदमी और चांद की सतह पर एक्सपेरिमेंट जैसे लक्ष्य शामिल थे।
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