Crude Oil Value: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल और ओपेक देशों के उत्पादन घटाने के फैसले के बीच, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वैश्विक आर्थिक संकट, मंदी और इकोमॉनिक स्लोडाउन के मद्देनजर कच्चे तेल के उत्पादक देशों से कच्चे तेल के सबसे ज्यादा खपत करने वाले भारत जैसे देशों के साथ संवेदनशीलता दिखाने को कहा है.
अबु धाबी में तेल उत्पादक देशों और दिग्गज तेल कंपनियों की बैठक एडीपेक में भाग लेने पहुंचे पेट्रोलियम मंत्री ने ओपेक के महासचिव हैथम अल घैस (Haitham Al Ghais) से मुलाकात की. इस मुलाकात की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए एक्स (X) पर साझा करते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने लिखा, ओपेक के महासचिव के साथ वैश्विक एनर्जी परिस्थितियों पर चर्चा की और उन्हें बताया भारत 101 अरब डॉलर यानि अपने खपत का 60 फीसदी कच्चा तेल और दूसरे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स ओपेक देशों से आयात करता है. पेट्रोलियम मंत्री ने ओपेक महासचिव को बताया कि सामाजिक उत्थान के लिए अफोर्डेबल एनर्जी प्राइसेज रहना कितना जरूरी है.
Mentioned the worldwide vitality state of affairs in my assembly with OPEC SG, HE #HaithamAlGhais.
India imports about 60% of its crude oil value $101 billion & different Petroleum merchandise from OPEC members. I highlighted how guaranteeing entry to inexpensive vitality is a should for social upliftment. pic.twitter.com/tGAuWpn5fJ
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) October 3, 2023
उन्होंने कहा, जब कोरोना महामारी के दौरान कच्चे तेल की कीमतें बहुत गिर गई थी तो कीमतों को स्थिर करने के लिए पूरी दुनिया साथ आई जिससे उत्पादक देशों को राहत मिल सके. लेकिन अभी जब पूरी दुनिया आर्थिक संकट मंदी से जूझ रही है तो तेल उत्पादक देशों को वही संवेदनशीलता कच्चे तेल के सबसे ज्यादा खपत करने वाले देशों के साथ दिखानी चाहिए.
Throughout pandemic, when crude oil costs crashed, the world got here collectively to stabilize the costs to make it sustainable for the producers. Now, because the world is at cusp of financial recession & slowdown, oil producers want to indicate similar sensitivity in the direction of the consuming international locations.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) October 3, 2023
हरदीप पूरी ने ओेपेक के महासचिव से कहा भारत मानता है कि कच्चे तेल का उत्पादन कितना करना है ये तेल उत्पादक और एक्सपोर्ट करने वाले देशों का अधिकार है लेकिन इसका नतीजा भी देखना बेहद जरूरी है. दरअसल तेल उत्पादक देशों के प्रोडक्शन घटाने के फैसले के बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ी है.
Additionally took the chance to debate the way it’s the sovereign proper of the oil producing & exporting international locations to resolve the manufacturing capability, however, all of that is topic to the doctrine of penalties – supposed & unintended.@MIB_India
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) October 3, 2023
दरअसल पिछले दिनों कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 97 डॉलर प्रति बैरल को छूने के बाद नीचे लुढ़कते हुए 90 डॉलर प्रति बैरल पर आ पहुंचा है और 3 अक्टूबर 2023 को ब्रेंट क्रूड ऑयल 90.14 डॉलर प्रतिल बैरल और WTI क्रूड 88.41 डॉलर प्रति बैरल के करीब ट्रेड कर रहा है. भारत सरकार ने इससे फौरी राहत की सांस ली होगी. क्योंकि पिछले दिनों इसके 100 डॉलर तक छूने की भविष्यवाणी की जा रही थी. हालांकि ये लेवल अभी भी ज्यादा बना हुआ है. सऊदी अरब और रूस ने दिसंबर 2023 तक कच्चे तेल के उत्पादन और सप्लाई को घटाने का फैसला लिया है. जिसके बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला है.
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