FM Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आर्थिक वृद्धि और देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिये नीतियों के स्तर पर निरंतरता, राजनीतिक स्थिरता और निर्णायक नेतृत्व जरूरी है. निर्मला सीतारमण ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के समारोह में कहा कि नीतियों में तुरंत-तुरंत बदलाव आर्थिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है. हम यह पहले देख चुके हैं, जब भारत दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया था.
उन्होंने पिछले नौ साल में केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा, “हमें विकास के लिये राजनीतिक स्थिरता, नीतियों के स्तर पर निरंतरता और राजनीतिक स्तर पर निर्णायक नेतृत्व की जरूरत है.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि भारत 2014 में दुनिया की 10वीं अर्थव्यवस्था था और आज पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.
उन्होंने कहा, “यह कहा जा रहा है कि भारत अपने आप तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. यह वास्तव में उद्यमियों, किसानों और अन्य वर्गों के प्रयासों को कमतर आंकने का प्रयास है, जो भारत आगे बढ़ा रहे हैं.” निर्मला सीतारमण ने नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियों के प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 23 साल के दौरान 919 अरब डॉलर का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया. इसमें से लगभग 65 फीसदी यानी 595.25 अरब डॉलर का एफडीआई पिछले नौ साल के दौरान आया है.
Glimpses from the 96th and 97th Annual Day celebrations of #SRCC (@SRCCOfficial) which Smt @nsitharaman attended right now in New Delhi. pic.twitter.com/bHMNcMQmNg
— Nirmala Sitharaman Workplace (@nsitharamanoffc) October 5, 2023
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड थेलर के ‘नज’ सिद्धांत का इस्तेमाल भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये किया है. व्यावहारिक अर्थशास्त्र के ‘नज’ सिद्धांत का उपयोग नीति निर्माण के दृष्टिकोण से बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है. इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति को अपने व्यवहार में जरूरी सकारात्मक परिवर्तन करने के लिये प्रेरित किया जाता है. ‘नज’ सिद्धांत का मानना है कि लोगों को समाज या देश के मूल्यों के अनुरूप व्यवहार करने के लिये मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की आवश्यकता है.
सीतारमण ने कहा कि ‘नज’ सिद्धांत का उपयोग ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में देखा जा सकता है, जिसने स्त्री-पुरुष अनुपात में सुधार आया है. स्टैंड-अप इंडिया के तहत महिलाओं को सस्ता कर्ज दिया गया है और लोगों को एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने के लिये प्रेरित किया गया. उन्होंने कहा कि इसी तरह बिचौलियों पर निर्भरता कम करने के लिए रेहड़ी-पटरी वालों को कर्ज सुविधा देने के लिये पीएम स्वनिधि योजना शुरू की गयी और यही सिद्धांत पीएम विश्वकर्मा योजना में भी लागू किया गया है.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री लोगों को ‘सशक्त’ बनाने, उन्हें अपने हिसाब से कुछ करने का विकल्प देने में विश्वास रखते हैं. बुनियादी चीजों पर खर्च करते हैं जो उन्हें यह तय करने की शक्ति देते हैं कि वे कहां होना चाहते हैं. उन्हें जरूरी संसाधनों तक पहुंच के साथ आवास, सड़क, पेयजल, शौचालय, आदि जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करते हैं.
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